देहरादून

Big Breaking: उत्तराखंड मशरूम की ब्रेंड एम्बेसडर दिव्या रावत व भाई राजपाल रावत को पुलिस ने किया गिरफ्तार , यहां जानें वजह

देहरादून : उत्तराखंड की मशरूम गर्ल के नाम से मशहूर एवं मशरूम उत्पादन की ब्रांड एंबेसडर दिव्या रावत और उसके भाई राजपाल रावत को महाराष्ट्र के पुणे में पुलिस ने 9 फरवरी को अरेस्ट किया है। दिव्या रावत व उसके भाई राजपाल रावत पर धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप है। धोखाधड़ी व जालसाजी के आरोप में दिव्या रावत व राजपाल रावत पर पुणे के पौंड थाने में वर्ष 2022 में मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुणे के पौंड थाना पुलिस ने दोनों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है।

पुणे पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, मानसलेक भुकुम (पौंड ) पुणे निवासी जितेंद्र नंद किशोर भाखाड़ा ने दिव्या के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने शिकायत में बताया कि उनकी कंसलटेंसी फर्म है, जिसे वह घर से ही ऑनलाईन व फोन के माध्यम से चलाते हैं। वर्ष 2019 में वह उद्योग शुरू करना चाहते थे।
इसी दौरान फेसबुक के माध्यम से उनका परिचय दिव्या रावत की बहन शकुंतला राय से हुआ, जिसने देहरादून में मशरूम की खेती के बारे में जानकारी दी। दिव्या रावत की बहन शकुंतला ने जनवरी 2019 में उन्हें देहरादून के मोथरोवाला में प्रशिक्षण के लिए बुलाया, जहां उनकी मुलाकात दिव्या से हुई।

शिकायतकर्ता नंद किशोर भाखाड़ा ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिस कारण वह पुणे वापस आ गए। दिसंबर 2019 में उन्हें दिव्या का फोन आया कि वह उसकी सौम्या फूड्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ सकते हैं। इसके बाद दिव्या ने उन्हें देहरादून बुलाया और रिवर्स माइग्रेशन-2020 प्रोजेक्ट के तहत मशरूम उत्पादन में पार्टनरशिप का प्रस्ताव दिया। प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले वह प्रशिक्षण के लिए टीम के साथ गुजरात गए। गुजरात मे उन्होंने कुछ मशीनें भी खरीदीं। शिकायतकर्ता नंद किशोर भाखाड़ा ने बताया कि इस दौरान टीम में शामिल सदस्यों के वेतन, रहने-खाने और मशीनों को खरीदने का खर्च सहित पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग 1.20 करोड़ का खर्च आया जो कि स्वयं उनके द्वारा ही वहन किया गया इसमें से कुछ रुपये दिव्या ने भी उन्हें दिए, जो बाद में किसी बहाने से वापस भी ले लिए। जब उन्होंने दिव्या से रुपये वापस मांगे तो वर्ष 2022 में देहरादून के नेहरू कालोनी थाना में उन्हीं के विरुद्ध 77 लाख रुपये की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवा दिया।

शिकायतकर्ता नंद किशोर भाखड़ा ने बताया कि उनके खिलाफ 77 लाख की धोखाधड़ी का दिव्या की शिकायत के बाद नेहरू कालोनी थाना पुलिस ने उन्हें देहरादून बुलाया और गिरफ्तार कर लिया। 3 माह जेल में रहने के बाद उच्च न्यायालय से उन्हें जमानत मिली।

सूचना के अधिकार में ऐसे खुला राज👇

पीड़ित नंद किशोर भाखड़ा ने बताया कि उन्होंने पुलिस विभाग से जब सूचना का अधिकार के तहत अपनी गिरफ्तारी को लेकर जानकारी मांगी तो पता चला कि दिव्या ने मेरठ से बनवाए एक फर्जी शपथपत्र (एफेडेविट) के आधार पर उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। जो कि जांच में भी ही फर्जी पाया गया।

फर्जी शपथपत्र का खुलासा होने के बाद इसकी शिकायत पीड़ित ने पुणे के पौंड थाने में की। इसके बाद से दिव्या उनसे समझौते के लिए 32.5 लाख रुपये मांग रही थी। इस पर शिकायतकर्ता ने दिव्या को 10 लाख रुपये का चेक लेने के लिए पुणे बुलाया। साथ ही पुलिस को भी सूचना दे दी। जब दिव्या रावत अपने भाई के साथ पुणे पहुंची तो पुणे में शुक्रवार को दिव्या और उसके भाई को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

पौड (पुणे ग्रामीण) मनोज यादव, थानाध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि दिव्या रावत और उसके भाई राजपाल रावत को धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले में 9 फरवरी को गिरफ्तार किया गया है। दोनों को 3 दिन के लिए पुलिस रिमांड पर रखकर पूछताछ चल रही है।

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