उत्तराखंडराजनीति

बड़ी ख़बर : अल्मोड़ा सीट पर नया चेहरा उतारने की जुगत में दोनों पार्टियां

एंटी इनकंबेंसी फैक्टर के चलते भारतीय जनता पार्टी इस बार किसी नए चेहरे को मैदान में उतारने की तैयारी कर चुकी है इसके संकेत पार्टी स्तर से कई बार सामने आ चुके हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी भी एक बार किसी नए चेहरे पर दाँव लगा सकती है।

हल्द्वानी। लोकसभा चुनाव में सिर्फ 9 महीने का समय बचा हुआ है सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए महासंपर्क अभियान शुरू किया हुआ है। सूत्रों के अनुसार दोनों पार्टियों में इस बार नए चेहरों को उतारने की तैयारी में है।

एंटी इनकंबेंसी फैक्टर के चलते भारतीय जनता पार्टी इस बार किसी नए चेहरे को मैदान में उतारने की तैयारी कर चुकी है इसके संकेत पार्टी स्तर से कई बार सामने आ चुके हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी भी एक बार किसी नए चेहरे पर दाँव लगा सकती है। अल्मोड़ा सीट के लिए पिछले ‘चुनाव में पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा 95 हजार से अधिक मतों से पराजित हुए थे जबकि 2009 में वह सिर्फ 5 हजार से ही जीत पाए थे।

उसके बाद उन्होंने विधानसभा चुनाव की भी तैयारी की थी उन्हें राज्यसभा का सदस्य भी बनाया गया वही कांग्रेस पार्टी में यह मंथन चल रहा है कि इस बार किसी नए चेहरे पर दाँव लगाया जाए। कांग्रेस के पास नए चेहरों के तौर पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, डॉक्टर अजय पाल सिंह के नाम सामने आ रहे हैं वहीं भारतीय जनता हरीश रावत लगातार तीन बार कांग्रेस के खाते में जीत लिखवाते चले गए।

पार्टी ने कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है आगामी दिनों में कैबिनेट विस्तार की चर्चाओं के बीच यह चर्चा भी सामने आ रही है कुछ लोगों को मंत्रिमंडल से लोकसभा की दावेदारी करने वाले कई नाम प्रमुख रूप से शामिल है। हालांकि अभी नामों की घोषणा में काफी समय है लेकिन भाजपा चुनावी तैयारी में काफी आगे निकल चुकी है इसीलिए वह कभी भी यह संकेत दे सकती है कि अल्मोड़ा सीट से नए चेहरे पर दांव

कांग्रेस की ओर से पिछले दो चुनावों में चुनाव लड़ चुके प्रदीप टम्टा के अलावा नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और हल्द्वानी की चिर परिचित डॉक्टर अजय पाल सिंह का नाम सामने आ रहा है कि अगर यशपाल आर्य उधम सिंह नगर सीट पर अपनी दावेदारी ठोकते हैं अथवा नेता प्रतिपक्ष के तौर पर भी अपनी सेवाएं जारी रखना चाहते हैं तो नए चेहरे के तौर पर डॉ. अजय पाल सिंह को मैदान में उतारा जा हराया। सकता है। डॉ. अजय पाल सिंह

रहा है सूत्रों के अनुसार यह माना जा

कांग्रेस पार्टी लगातार कई सालों तक कराई। इस सीट पर सिर्फ कांग्रेस ने राज किया। 1962, 1967, 1971 तक यहां कोई भी पार्टी अपने जड़ें नहीं जमा पाई। 1957 में कांग्रेस उम्मीदवार हर गोविंद यहां से सांसद चुने गए। उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार को करीब 9 हजार वोटों के अंतर से

इसके बाद 1962 के चुनाव में

एमबीबीएस, एमएस के साथ ही एलएलबी है उनका पिथौरागढ़ बागेश्वर अल्मोड़ा और चंपावत के क्षेत्रों में एक चिकित्सक की तौर पर मिली प्रसिद्धि से कई लोगों में अच्छी हटाया जा सकता है उनमें मुख्य रूप से पकड़ है तथा हल्द्वानी में बड़ा को टिकट दिया। कांग्रेस के टिकट पर बुरे साबित हुए। ये वो दौर था, जब हॉस्पिटल संचालन के दौरान बड़ी संख्या में लोगों के यहां उपचार के लिए आने के कारण उनसे अच्छा व्यवहार रहा है। चिकित्सा सेवा के सभी सामाजिक कार्यों और जन सरोकारों में लगातार अपनी रूचि दिखाने की कारण डॉक्टर अजय पाल सिंह लगाने से परहेज नहीं किया जाएगा। लोकप्रिय है साथ में राजनीतिक परिवार चंद्र सिंह रावत को चुनाव लड़वाया। हरीश सिंह रावत भी यहां कुछ कमाल से संबंध रखने की वजह से चुनाव लड़ने में उन्हें किसी भी तरह दिक्कत आने की कोई संभावना नहीं है।

कांग्रेस के एक नए उम्मीदवार जंग बहादुर सिंह यहां से जीते। 1967 में भी जंग बहादुर सिंह ने ही जीत का औरसांसद बनते रहे। परचम लहराया। हालांकि 1971 में कांग्रेस ने फिर से एक नए उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे नरेंद्र सिंह बिस्ट यहां से चुनाव लड़े और जीत हासिल की। 1980 के आम चुनाव में कांग्रेस ने फिर से यहां जनता का दिल जीता और लगातार तीन लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा पर राज किया। 1980 में मुंहदेखा। कांग्रेस ने एक नए उम्मीदवार हरीश कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाने वाले हरीश रावत ने जनता पार्टी के उम्मीदवार मुरली मनोहर जोशी को करारी मात देते हुए यहां से जीत दर्ज

इसके बाद 1984 में हरीश रावत के सामने फिर से मुरली मनोहर जोशी खड़े हुए, लेकिन इस बार वह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। लेकिन हरीश ने जोशी को फिर से चुनाव मैदान से बाहर कर दिया। फिर 1989 में हुए चुनाव में हरीश रावत ने एक निर्दलीय उम्मीदवार काशी सिंह को शिकस्त दी। इस तरह बाजी अपने नाम कर ली।

1991 से लेकर 2004 तक के चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए बहुत अल्मोड़ा की राजनीति में एक नई पार्टी ने जीत का कदम रखा और वो थी भारतीय जनता पार्टी 1991 से लेकर 2004 तक बीजेपी लगातार यहां से जीती और कांग्रेस ने लगातार हार का

नहीं कर पाए और बीजेपी के सामने घुटने टेक गए। 1991 में बीजेपी ने जीवन को अपने टिकट पर चुनाव मैदान में उतारा और जीवन ने यहां से जीतकर बीजेपी को एक नया जीवन दिया। इसके बाद 1996, 1998, 1999 और 2004 में बची सिंह रावत ने यहां से जीतकर बीजेपी की जड़ें मजबूत कीं। इसके बाद 2009 में प्रदीप टम्टा ने अजय ममता को चुनाव में आया था लेकिन 2014 और 2019 में आ जाए तो मिटाने फिर बाजी अपने नाम कर लेगी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button