देहरादून

HC का बड़ा सवाल : नाबालिगों के लव अफेयर्स में लड़कियां भी जाती हैं डेट पर फिर सिर्फ लड़के ही क्यों होते हैं अरेस्ट लड़कियां क्यों नहीं “

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान बड़ा सवाल किया है जो एक तरह से सही भी है और जो कोर्ट में अक्सर पूछा भी जाता है यहां तक कि समाज मे भी चर्चा का विषय बना रहता है। वह सवाल है कि ” नाबालिगों के बीच प्रेम संबंधों के लिए सिर्फ लड़कों को ही दोषी मानकर क्यों पकड़ा जाता है” जबकि लड़कियों को निर्दोष मानकर छोड़ दिया जाता है?

दरअसल वकील मनीषा भंडारी ने अपनी पीआईएल में लैंगिक असमानता पर बात की थी। जिसमें कहा गया कि जहां लड़कियों को अक्सर सहमति से बने संबंधों में भी पीड़ित के रूप में देखा जाता है, तो दूसरी तरफ कम उम्र लड़कों को ऐसी चीज़ों के लिए अपराधी बताकर जेल में डाल दिया जाता है। वकील मनीषा भंडारी ने चीफ जस्टिस के सामने दावा किया कि हाल में उन्हें हल्द्वानी जेल में 20 ऐसे लड़के मिले थे जिन्हें प्रेम प्रसंग के मामले में जेल हुई है।

बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़कियों के साथ प्रेम और अन्य गतिविधियों में शामिल किशोर लड़कों की गिरफ्तारी के खिलाफ जनहित याचिका की सुनवाई की और याचिका के दौरान विचार-विमर्श करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया है प्रेम- प्रसंग जैसी गतिविधियों में लड़की व लड़के के शामिल होने की स्थिति में लड़कों को ही क्यों पकड़ा जाता है,जबकि लड़कियों को छोड़ दिया जाता है। हाई कोर्ट ने नाबालिग प्रेस प्रसंग मामलों में राज्य और केंद्र से मांगा है जवाब।

 

 

वकील मनीषा भंडारी की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस राकेश थपलियाल ने की। याचिका में कहा गया है कि नाबालिग लड़कों और लड़कियों के बीच प्रेम संबंधों से जुड़े मामलों में हमेशा लड़के को ही दोषी क्यो माना जाता है और सजा दी जातो है । जनहित याचिका में कहा गया है कि यहां तक कि जब लड़की बड़ी हो तब भी लड़के को ही दोषी मान हिरासत में ले लिया जाता है और उसे अपराधी माना जाता है। प्रेम प्रसंग के मामलों में लड़का ही अंत में खुद को जेल में पाता है, जबकि ऐसी स्थिति में उसे पकड़ने के बजाय परामर्श दिया जाना चाहिए और उसे भविष्य में ऐसा न करने की सलाह देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डेट पर तो लड़कियां भी साथ जाती है स्वयं की मर्जी से फिर ऐसी स्थिति में भी सजा केवल लड़कों को ही क्यो?

अभी भी हिरासत में 20 नाबालिग

कोर्ट में इस मामले में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि 20 नाबालिग अभी इसी तरह के आरोपों में हिरासत में हैं। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार किया और फिर से कहा कि राज्य इस बात पर विचार कर सकता है कि क्या दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत लड़के का बयान दर्ज करना पर्याप्त होगा? उसकी गिरफ्तारी की आवश्यकता क्या जरूरी है। अदालत ने सुझाव दिया कि अधिक से अधिक उसे लड़के को ऐसी गतिविधियों में लिप्त न होने की सलाह दी जा सकती है, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए केवल प्रेमप्रसंग के मामले में लिप्त होने की वजह से उसका भविष्य खतरे में नहीं डालना चाहिए उसे सजा देकर। इसके अलावा, अदालत ने प्रस्ताव दिया कि राज्य ऐसी स्थितियों में पुलिस विभाग के आदेश के पालन के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी कर सकता है।

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